रामचरित मानस

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श्री रामजी के बाण से रावण के मुकुट-छत्रादि का गिरना * पवन तनय के बचन सुनि बिहँसे रामु सुजान। दच्छिन दिसि अवलोकि प्रभु बोले कृपा निधान॥12 ख॥ भावार्थ:- पवनपुत्र हनुमान्‌जी के ...

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